मॉस्को

यूक्रेन से चल ही भीषण जंग के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूसी वैज्ञानिकों को बुढ़ापा रोकने की दवाई बनाने का आदेश दिया है। ऐसी रिपोर्ट है कि पुतिन अपनी और सरकार में बूढ़े हो रहे कई मंत्रियों की ढलती उम्र को रोकना चाहते हैं। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसी साल जून महीने में वैज्ञानिकों को ये निर्देश दिए। इसके लिए टारगेट भी तय है। साल 2030 तक 175000 बूढ़ों को जवान बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उधर, पुतिन सरकार का लेटर पाकर वैज्ञानिकों ने हैरानी जताई है और कहा है कि यह पहली बार है, जब इतने कम नोटिस पर ऐसा आदेश मिला।

रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच व्लादिमीर पुतिन की उम्र को लेकर चिंता इसलिए भी बड़ी है क्योंकि जंग में लगातार मारे जा रहे युवाओं के बाद अब रूस में बूढ़ों की संख्या बढ़ रही है। रूस की संघीय राज्य सांख्यिकी सेवा (रोसस्टेट) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश की औसत जीवन प्रत्याशा जुलाई 2023 और जून 2024 के बीच घट कर 73.24 वर्ष हो गई है।

पिछले महीने एमआरसी लैबोरेटरी ऑफ मेडिकल साइंस, इंपीरियल कॉलेज लंदन और सिंगापुर में ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी दवा की खोजने का दावा किया था जो बूढ़े को जवान बनाने में कारगर साबित हो सकती है। शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में एक चूहे पर एक्सपरीमेंट किया और पाया कि दवाई के बाद चूहा बूढ़े से जवान हो गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि दवाई पशुओं की आयु को लगभग 25% तक बढ़ा सकती है। हालांकि इसका उपयोग अभी किसी इंसान पर नहीं किया गया है। वैज्ञानिकों ने यह भी नहीं बताया कि इंसान पर ऐसी किसी दवाई का उपयोग करने से क्या हो सकता है?

हाल ही में मॉस्को में रूसी उप प्रधानमंत्री तात्याना गोलिकोवा ने लंबी आयु और बुढ़ापे में बीमारियों को दूर रखने वाली अत्याधुनिक तकनीकों में निवेश करने की सरकार की योजना का अनावरण किया था। इसके बाद सरकार ने वैज्ञानिकों से इस परियोजना पर काम करने का निर्देश दिया। पुतिन की इस महत्वकांक्षी योजना के तहत रूसी सरकार एंटी एजिंग दवाई चाहती है।
पुतिन के पत्र पर क्या बोले रूसी वैज्ञानिक

जून में मिले पत्र पर एक रूसी वैज्ञानिक ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि किस प्रकार हमसे ऐसी दवाई तैयार करने के लिए दबाव डाला जा रहा है, जो बूढ़े को जवान कर दे। उन्होंने कहा कि इसके लिए समय सीमा काफी कम निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा, ”उन्होंने हमसे सभी प्रस्तावों को तेजी से पूरा करने को कहा है। ईमानदारी से कहूं तो, यह पहली बार है, क्योंकि आमतौर पर, किसी भी राष्ट्रीय परियोजना को पूरा करने के निर्देश देने से पहले विशेषज्ञों की बैठकें होती हैं और फिर बात आदेश दिए जाते है। इस बार ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ।”

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